सुशीला कार्की संभालेंगी नेपाल की कमान? Gen-Z के ‘फेवरेट’ बालेन शाह ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

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नेपाल की राजनीति में उथल-पुथल

नेपाल पिछले कई महीनों से राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा की लहर से गुजर रहा है। सत्ता संघर्ष, दलों के बीच बढ़ती खींचतान और जनता की नाराज़गी ने माहौल को और गंभीर बना दिया है। सवाल यह है कि आखिर नेपाल की बागडोर कौन संभालेगा? इसी बीच एक वर्चुअल मीटिंग ने नए समीकरण खड़े कर दिए हैं।

वर्चुअल मीटिंग में युवाओं की आवाज़

Gen-Z आंदोलनकारियों ने रविवार को एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की, जिसमें करीब 5,000 से ज्यादा युवा शामिल हुए। इस सभा में युवाओं ने खुलकर अपनी राय रखी और सबसे अधिक समर्थन पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के पक्ष में गया। यह अपने आप में एक बड़ी घटना है, क्योंकि अब तक नेपाल की राजनीति पर पारंपरिक दलों का ही दबदबा रहा है।

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बालेन शाह क्यों हैं चर्चा में?

1. बालेन शाह काठमांडू के मेयर हैं और युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

2. वे खुद एक इंजीनियर, रैपर और सोशल मीडिया आइकन भी हैं।

3. Gen-Z वर्ग उन्हें अपना प्रतिनिधि मानता है।

हालांकि, इस मीटिंग में उनका नाम सुझाया गया, लेकिन उन्होंने फिलहाल किसी भी तरह की राजनीतिक जिम्मेदारी लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।


सुशीला कार्की – एक नया विकल्प?

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं।

1. उनकी पहचान एक ईमानदार, सख़्त और भ्रष्टाचार विरोधी छवि के रूप में है।

2. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए।

3. न्यायपालिका में उनके अनुभव और साख के कारण युवाओं ने उन पर भरोसा जताया है।


कार्की अब तक राजनीति से दूर रही हैं, लेकिन हाल की घटनाओं ने उन्हें केंद्र में ला दिया है।


Gen-Z की ताकत नेपाल में

नेपाल की आबादी का 60% से अधिक हिस्सा युवा वर्ग है।

1. यह पीढ़ी सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय है।

2. हाल के वर्षों में Gen-Z ने कई डिजिटल कैंपेन और सड़क आंदोलनों से सरकार पर दबाव बनाया।

3. अब वही वर्ग देश की नेतृत्व की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

युवाओं का मानना है कि पारंपरिक नेता भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी से घिरे हैं, जबकि नई सोच वाले नेता ही देश को आगे ले जा सकते हैं।

बालेन शाह की चुप्पी से बढ़ा सस्पेंस

बालेन शाह की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है:

1. क्या वे राजनीति में सीधे प्रवेश से बच रहे हैं?
2. क्या वे काठमांडू मेयर के रूप में अपने काम पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं?
3. या फिर सही समय का इंतज़ार कर रहे हैं?


उनके समर्थकों का कहना है कि शाह फिलहाल सक्रिय राजनीति से दूर रहना चाहते हैं, लेकिन भविष्य में बड़ा कदम उठा सकते हैं।


सुशीला कार्की को समर्थन क्यों?

1. साफ-सुथरी छवि: उनके खिलाफ कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं।
2. महिला नेतृत्व: नेपाल में महिला नेताओं की कमी रही है।
3. न्यायपालिका का अनुभव: देश के कानून और संविधान की गहरी समझ।
4. युवाओं का भरोसा: Gen-Z वर्ग उन्हें बदलाव का प्रतीक मान रहा है।

नेपाल के भविष्य की राजनीति

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सुशीला कार्की सक्रिय राजनीति में उतरती हैं तो:

1. नेपाल की राजनीति में महिला नेतृत्व का नया अध्याय शुरू हो सकता है।
2. भ्रष्टाचार और सत्ता संघर्ष से परेशान जनता को एक साफ विकल्प मिलेगा।
3. Gen-Z का समर्थन उन्हें मजबूती देगा।

अंतरराष्ट्रीय नजरिया

नेपाल के पड़ोसी भारत और चीन भी इस स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। दोनों ही देशों के लिए नेपाल एक रणनीतिक दृष्टि से अहम देश है।


1. भारत चाहता है कि नेपाल में लोकतांत्रिक स्थिरता बनी रहे।
2. वहीं चीन अपने Belt and Road प्रोजेक्ट के जरिए नेपाल में निवेश बढ़ा रहा है। इसलिए नेपाल का नया नेतृत्व क्षेत्रीय राजनीति को भी प्रभावित करेगा।

सोशल मीडिया पर बहस

ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #SushilaKarki और #BalenShah ट्रेंड करने लगे हैं।


1. कुछ लोग कार्की का समर्थन कर रहे हैं।
2. वहीं कई युवा अभी भी बालेन शाह को ही नेता मानते हैं। बहस इस पर भी है कि क्या न्यायपालिका से आने वाले व्यक्ति राजनीति में सफल हो पाएंगे?


आगे का रास्ता

नेपाल के राजनीतिक दल इस समय कमजोर स्थिति में हैं। अगर युवाओं का दबाव बढ़ा तो वे किसी नए चेहरे को समर्थन देने के लिए मजबूर हो सकते हैं।


1. सुशीला कार्की अगर आगे बढ़ती हैं तो यह एक ऐतिहासिक कदम होगा।
2. अगर वे पीछे हटती हैं तो बालेन शाह या कोई और युवा चेहरा सामने आ सकता है।

नेपाल की राजनीति इस समय दो रास्तों पर खड़ी है –


1. पारंपरिक नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष जारी रहेगा।
या फिर सुशीला कार्की जैसे नए और साफ छवि वाले चेहरे को मौका मिलेगा।


Gen-Z ने अपनी राय दे दी है। अब देखना यह है कि सुशीला कार्की इस समर्थन को कैसे स्वीकार करती हैं और बालेन शाह कब तक चुप रहते हैं।


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